दो दशक बाद मधेपुरा में दिखे गिद्धराज


रूद्र नारायण यादव /मधेपुरा;२४मार्च 2010
मधेपुरा में करीब दो दशक बाद बुधवार को जिले के साहुगढ़ ग्राम में गिद्धराज के दर्शन से स्थानीय ग्रामीण में हर्ष व्याप्त और पर्यावरणविद इसे वातावरण शुद्धी के शुभ संकेत माना.मालूम हो की इस क्षेत्र से गिद्ध लुप्तप्राय: हो गए थे.पशुओं के मरने पर उनके शरीर को किस प्रकार और कहाँ ठिकाने लगाया जाये,यही लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई थी और पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा था,जिसके चलते तरह-तरह की बीमारी भी फ़ैल
रही थी.
अचानक गिद्ध के विलुप्त होने पर कई तरह की चर्चाएँ बुद्धिजीवियों में हो रही है.पर्यावरणविद सह बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय के वरीय प्राध्यापक  डा.अरुण कुमार का कहना है कि मवेशियों में पेनकिलर दवा का प्रयोग लोगों द्वारा अत्यधिक मात्रा में किये जाने के कारण पशु के मरने के उपरान्त जब गिद्धों ने उनके मृत शरीर को खाया तो धीरे-धीरे गिद्धों की प्रजनन शक्ती क्षीण होती गई और ये विलुप्त हो गए.विलुप्त हो जाने के कारण कई तरह की नई-नई बीमारियाँ भी फैलती गई.इसका खुलासा कई शोधकर्ताओं ने किया है.अब सरकार भी गिद्ध की संरक्षा साथ ही इसकी प्रजनन शक्ति को बढाने हेतु तत्पर दिख रही है.डा.मंडल ने कहा कि पर्यावरण के लिए गिद्ध का आगमन शुभ संकेत है.
दो दशक बाद मधेपुरा में दिखे गिद्धराज दो दशक बाद मधेपुरा में दिखे गिद्धराज Reviewed by Rakesh Singh on March 24, 2010 Rating: 5

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